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Yamuna Bachao


यमुना बचाओ आंदोलन को थामने में केंद्र नाकाम

नई दिल्ली। यमुना बचाओ के आंदोलनकारियों के दिल्ली कूच ने केंद्र सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यमुना को बदहाली से बचाने के लिए सड़कों पर उतरे हजारों पदयात्रियों के काफिले ने सोमवार को हरियाणा की सीमा में प्रवेश किया तो केंद्र सरकार ने संबंधित राज्य सरकारों से सलाह-मशविरा शुरू कर दिया। लेकिन हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के जल संसाधन सचिवों की लंबी वार्ता में कोई हल नहीं निकला। बैठक मंगलवार को भी जारी रहेगी।
बैठक के दौरान केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत भी उपस्थित रहे।

रावत ने दिल्ली सरकार से यमुना की सफाई को लेकर चल रहीं सभी परियोजनाओं में कार्यवाही में तेजी लाने को कहा है।
साथ ही नजफगढ़ नाले का गंदा पानी तत्काल रोकने और सभी गंदे नालों का पानी साफ करने के बाद ही यमुना में छोड़ने के निर्देश दिए। सूत्रों के मुताबिक बैठक में दिल्ली और हरियाणा के अफसरों के बीच आरोप प्रत्यारोप ही लगते रहे। वार्ता के केंद्र में हरियाणा का हथिनीकुंड बैराज छाया रहा।
उधर, हथिनीकुंड से पानी यमुना में छोड़ने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश की मथुरा नगरी से हजारों आंदोलनकारियों का जत्था जहां केंद्र सरकार को घेरने दिल्ली पहुंचने को बेताब है।

वहीं केंद्र सरकार को फिलहाल कुछ खास उपाय नहीं सूझ रहा है। पदयात्रा करते दिल्ली की ओर बढ़ रहे आंदोलनकारियों का समूह सोमवार को शाम तक हरियाणा की सीमा में प्रवेश कर गया है। लोगों के लगातार जुड़ते जाने से उनके हुजूम का आकार बड़ा होता जा रहा है। पलवल जिले के होडल कस्बे में उन्होंने लाव-लश्कर के साथ पड़ाव डाल दिया है।

लेकिन केंद्र सरकार उनके आंदोलन को लेकर बहुत गंभीर नहीं दिख रहा है। वन व पर्यावरण मंत्रालय में सोमवार को दिनभर इसे लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं थी। इसके मुकाबले जल संसाधन मंत्रालय में शाम चार बजे एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के जल संसाधन सचिव शामिल हुए।
बैठक में दिल्ली सरकार ने जहां हरियाणा पर पानी न छोड़ने का आरोप लगाया, वहीं हरियाणा ने इसे निराधार बताया। हथिनीकुंड से पानी छोड़ने से बड़ा मसला यमुना के पानी के प्रदूषण है, जिस पर सरकार की ओर से कोई तैयारी नहीं की जा रही है।


यमुना से यमुनोत्री मंदिर को खतरा

उत्तरकाशी। यमुना नदी ही यमुनोत्री मंदिर के लिए खतरा बन गई है। बीते साल यमुना नदी में आई बाढ़ से यमुनोत्री मंदिर के निचले हिस्से में कटाव शुरू हो गया था। अब नदी का बहाव मंदिर की ओर है तो इस कटाव का दायरा भी फैल रहा है। वहीं प्रशासन ने अब तक यहां बाढ़ सुरक्षा के काम पूरे नहीं हो सके हैं।

बीते साल मानसून के दौरान यमुना नदी में आई बाढ़ से यमुनोत्री मंदिर समेत गरमपानी कुंड के निचले हिस्सों में भारी मात्रा में कटाव हो गया था। और नदी का पथ प्रवाह भी मंदिर परिसर की ओर मुड़ गया। ऐसे में मंदिर के निचले हिस्सों में हो रहा कटाव का दायरा भी बढ़ रहा है। ऐसे में नदी में दोबारा बाढ़ आने की स्थिति में मंदिर समेत मंदिर परिसर में स्थित दुकानों, गरम पानी स्नान कुंड को भी भारी नुकसान पहुंच सकता है। वहीं प्रशासन भी यमुना नदी का बहाव दूसरी ओर मोड़ने और मंदिर को सुरक्षित करने में पूरी तरह से फेल रहा है। बीते साल सिंतबर में तत्कालीन जिलाधिकारी ने यमुनोत्री मंदिर का निरीक्षण कर सिंचाई विभाग को दस लाख रुपए जारी कर यहां बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू करवाने के निर्देश दिए थे। नदी के बहाव को मंदिर से दूर करने के साथ ही मंदिर के निचले हिस्से में हुए कटाव का सुरक्षात्मक उपचार करने के लिए सिंचाई विभाग ने अब तक भी कोई काम शुरू नहीं किया। इसके चलते मंदिर परिसर पर खतरा बरकरार है।

वहीं सिंचाई विभाग भी जिला प्रशासन की ओर से जारी किए गए दस लाख रुपए खर्च करने के बाद भी ना तो मंदिर को सुरक्षित कर सकी है ना हीं यमुना का पथ प्रवाह मंदिर से दूर मोड़ सकी है। वहीं अब प्रशासन मंदिर की सुरक्षा को नए सिरे से शुरू करने की तैयारी में है। सिंचाई विभाग ने जारी किए गए दस लाख रुपए खर्च कर दिए है। अभी सुरक्षा कार्य की ओर दरकार है। प्रशासन को भी प्रस्ताव भेजा गया है। बहाव पथ को मोड़ा गया है।